Education level in india
Bharat my education ka level
: छात्रों को पीएचडी करने के बाद भी स्वीपर की नौकरी के लिए अप्लाई करना पड़ रहा है. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और एक प्रोफेसर के बीच इस मुद्दे को लेकर मतभेद हो गया. प्रकाश जावड़ेकर का कहना था कि अगर कोई पीएचडी करने के बाद भी साफ-सफाई वाली नौकरी के लिए अप्लाई कर रहा है तो इसका मतलब है कि उसको कुछ पढ़ाया नहीं गया. जिसके चलते कार्यक्रम में मौजूद एक प्रोफेसर ने सबके सामने खुलकर न केवल असहमति जताई बल्कि यह भी कहा कि अगर पीएचडी करने वाले को स्वीपर की नौकरी के लिए अप्लाई करना पड़ रहा है तो इसका मतलब सरकार नाक़ाम है. सरकार रोजगार नहीं दे सकती.
दोनों ने अपनी-अपनी बात संघ से जुड़े संगठनों द्वारा करवाए गए एक कार्यक्रम में कही. यह कार्यक्रम उच्च शिक्षा पर बातचीत के लिए रखा गया था. कार्यक्रम में प्रकाश जावड़ेकर बोले कि दुनियाभर में पीएचडी (शोध) का मतलब होता है कि जो जानते हैं उससे कुछ अतिरिक्त जाना जाए. लेकिन भारत में पहले से जानने वाली चीज की दूसरे ढंग से व्याख्या कर देने को पीएचडी कहा जा रहा है. इसपर वहां मौजूद प्रोफेसर वाई एस लोन ने कहा कि अगर पीएचडी वाले स्वीपर की नौकरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो इसका मतलब साफ है कि नौकरी देने में सरकार विफल रही है.
लोन जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं. वे वहां स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड एसथेटिक्स (कला और सौंदर्यशास्त्र) में प्रोफेसर हैं. लोन ने आगे कहा कि पहले से जिस चीज को जानते हैं उसको और अच्छे से समझना भी पीएचडी ही है क्योंकि उससे ही नया सोचने की स्थिति पैदा होती है. लोन ने आगे कहा कि उनके पास ऐसे कई उदाहरण हैं कि पीएचडी करने वाला 15,000 रुपए महीने की नौकरी कर रहा है जो कि किसी सरकारी सफाई वाले से भी कम है. जावड़ेकर की बात से और भी कई लोग सहमत नहीं थे. भारत में मौजूद उच्च शिक्षा के संस्थानों में तकरीबन 1.2 लाख शोधार्थी पीएचडी की डिग्री कर रहे हैं.
दोनों ने अपनी-अपनी बात संघ से जुड़े संगठनों द्वारा करवाए गए एक कार्यक्रम में कही. यह कार्यक्रम उच्च शिक्षा पर बातचीत के लिए रखा गया था. कार्यक्रम में प्रकाश जावड़ेकर बोले कि दुनियाभर में पीएचडी (शोध) का मतलब होता है कि जो जानते हैं उससे कुछ अतिरिक्त जाना जाए. लेकिन भारत में पहले से जानने वाली चीज की दूसरे ढंग से व्याख्या कर देने को पीएचडी कहा जा रहा है. इसपर वहां मौजूद प्रोफेसर वाई एस लोन ने कहा कि अगर पीएचडी वाले स्वीपर की नौकरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो इसका मतलब साफ है कि नौकरी देने में सरकार विफल रही है.
लोन जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं. वे वहां स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड एसथेटिक्स (कला और सौंदर्यशास्त्र) में प्रोफेसर हैं. लोन ने आगे कहा कि पहले से जिस चीज को जानते हैं उसको और अच्छे से समझना भी पीएचडी ही है क्योंकि उससे ही नया सोचने की स्थिति पैदा होती है. लोन ने आगे कहा कि उनके पास ऐसे कई उदाहरण हैं कि पीएचडी करने वाला 15,000 रुपए महीने की नौकरी कर रहा है जो कि किसी सरकारी सफाई वाले से भी कम है. जावड़ेकर की बात से और भी कई लोग सहमत नहीं थे. भारत में मौजूद उच्च शिक्षा के संस्थानों में तकरीबन 1.2 लाख शोधार्थी पीएचडी की डिग्री कर रहे हैं.
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